रायबरेली, शहर के डिपो मे कुल 107 बसों का डेरा है। इसमे 85 सरकारी और 37 अनुबन्धित बसे हैं। डिपो में करीब एक दर्जन से अधिक बसें इतनी जर्जर हो चुकी हैं कि ये सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रही हैं। वहीं आठ या दस बसें रोजाना तकनीकी खराबी के चलते कार्यशाला की शोभा बढ़ा रही हैं। हर किलो मीटर पर विभाग यात्रियों से किराये में सुविधा शुल्क लेता है। लेकिन स्टेशन से लेकर बसों तक यात्री सुविधाओं का टोटा है। भले ही सरकारें यात्रियो को सुविधायें मुहैया कराने का दावा कर रही हों, लेकिन हकीकत यह है कि एक दर्जन खटारा बसों के रूप मे सड़को पर मौत दौड़ रही है। लोग जान जोखिम में डाल कर अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं।

रेलवे स्टेशन की हालत बदतर

कहने को तो शहर का रेलवे स्टेशन आदर्श स्टेशन की श्रेणी मे आता है। अगर प्लेट फार्म नम्बर एक को छोड़ दिया जाय तो नम्बर दो और तीन पर यात्रियों को बैठने की जगह नहीं है। भीषण गर्मी में लोगों को सिर छुपाने के लिये इधर-उधर भागना पड़ता है। मुम्बई व दिल्ली समेत कई रूटों को जाने वाली 61 ट्रेनें प्रतिदिन इस स्टेशन से होकर गुजरती हैं। रायबरेली रेलवे स्टेशन की परिसीमा 125 किलो मीटर है। ट्रेनों के समयानुसार न चलने से यात्रियो को घंटो इंतजार करना पड़ता है। सुविधाओं के नाम पर यहां यात्रियों को गंदगी और बदलू मिल रही है।